🌹🌹"सकारात्मक सोच"🌹🌹
***अक्सर हमारी सकारात्मक /नकारात्मक सोच आसपास के लोगों को प्रभावित कर जाती है और इस रवैये कि वजह से उनके आस पास नकारात्मकता फेल जाती हैं और वो हर वक्त इसके कारण प्रभावित होते रहते हैं l मेरा अनुभव सकारात्मक से जुड़ा हुआ किस प्रकार बदलाव लाता है प्रस्तुत हैं ***** ****रविंद्र गोपाल निगम
मैं ओरिएंट पेपर मिल, शहडोल में पावर हाऊस मैं कार्यरत था जहाँ पर तरह तरह की मशीने लगी थी। कार्य के दौरान कर्मचारियों और मशीनो की सुरक्षा के लिये हमेशा चौकन्ना रहना पड़ता था। रोज पारी के शुरु होने पर हर कर्मचारियों को काम उनकी क्षमता के आघार पर दिया करता था।
कर्मचारियों मैं गुरदयाल सिग ,जो कि फिटर था और एयर कंप्रेसर के रखरखाव का काम देखा करता था और साथ ही वो कर्मचारी यूनियन मैं सचिव पद पर था और इसकी घौस वो अपने साथ के कर्मचारियों और अधिकारियों को अक्सर देता रहता था। वो परिसर मे रोज मदिरापान करके आता था। जिससे अन्य कर्मचारी और अन्य अधिकारी के लिये सिरदर्दी बना हुआ था l
एयर कंप्रेसर के कार्य की उपयोगिता एवं उसके व्यवहार को देखते हुए , उसके साथ एक ट्रेनी फिटर को उसके साथ दिया हुआ था जिससे पावर प्लांट का कार्य उसकी गैरहाजिरी में बाधित न हो।
काफी दिनों तक कार्य यूँ ही चलता रहा। चूकि कार्य मै कोई समस्या नही आ रही थी, इसलिए रोज रजिस्टर मे ,गुरदयाल के नाम पर कार्य दर्ज कर दिया जाता था। रूटीन चेक के दौरान अक्सर ट्रेनी फिटर ही कार्य करता नजर आ जाता था । बहुत दिनों तक यू ही चलता रहा और मैने भी ज्यादा गौर नहीं किया।
एक दिन मेरा विश्वसनीय कर्मचारी मुझे साथ लेकर पावर प्लांट के टरबाइन सैक्शन में लगे हुये पावर पेनल के पास ले गया और मुझसे पीछे चेक करने को कहा। गुरदयाल सिग पैनल के पीछे गहरी नीद में सो रहा था और उसके पास से शराब की तेज बदबू आ रही थी। यदि मै उसे , उस समय उठाता तो मामला बिगड़ जाता इसलिए मैं वहाँ से हट गया और दूसरे कर्मचारी को उसे उठाने को भेज दिया।
अगले दिन से मैने जाब रजिस्टर में ट्रेनी फिटर को काम एलाट करना शुरु कर दिया और गुरदयाल सिग के नाम के आगे लकीर खीचना शुरु कर दिया और साथ ही ट्रेनी फिटर को काम से सम्बन्धित हिदायत भी देने लगा। काफी दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। गुरदयाल हमेशा की तरह कार्य के दौरान पावर पैनल के पीछे सोता रहा। इसी बीच गुरदयाल के किसी साथी ने उसे इस बारे मे सब बताया।
गुरदयाल चूकि कर्मचारी यूनियन में सचिव था, अपने साथियों के साथ पावर प्लांट के चीफ इन्जीनियर श्री अशोक पांडे जी के आफिस पहुँच कर हंगामा करने लगा कि मैं निगम सर का खून कर दूँगा और पता नहीं क्या क्या । चीफ इन्जीनियर क्योंकि मेरे काम से वाकिफ थे, उसे समझाने की कोशिश करते रहै और मुझे आफिस मै बुलावा भेजा। तब तक उन्हें मेरे द्वारा लिये गये एक्शन का कुछ पता नही था।
गम्भीरता को देखते हुए में तुरंत उनके आफिस पहुँच गया। गुरदयाल मुझे देखते ही गालीगलोज करने लगा। चीफ इंजीनियर ने इस मामले के बारे में मुझसे जानकारी मांगी।
मैने उनसे सवाल किया कि यदि किसी कर्मचारी के साथ कार्य के दौरान दुर्घटना हो जाती है तो किसकी जिम्मेदारी बनती है। वो तुरंत बोले क्योंकि तुम पावर प्लांट का रखरखाव देखते हो इसलिए सारी जिम्मेदारी तुम्हारी ही बनती है। कर्मचारी के साथ हुई किसी भी दुर्घटना के लिये सबसे पहले तुमसे ही पूछा जायेगा।
तब मैने विस्तार से उन्हें सब जानकारी दी कि किस तरह शराब पीकर कार्य के दौरान पावर प्लांट के पैनल के पीछे सो जाते है जो कि सुरक्षा की दृष्टि काफी संवेदनशील इलाका होता है। और किसी भी तरह की दुर्घटना मे मौत निश्चित है। इसीलिए गुरदयाल के नाम के आगे लाईन खीच देता हूँ और इनके सहयोगी से रखरखाव का कार्य करवाता हूँ जिससे पावर प्लांट सुचारु रूप से चलता रहे।
मेरी ये बात सुनकर गुरदयाल जो हंगामा कर रहा था। बिलकुल शांत हो गया और हाथ जोड़ कर माफी मांगने लगा। उसने सबके सामने अपनी गलती कबूल की और भरोसा दिखाया कि भविष्य मे कोई ऐसा मौका नही देगा। अगले दिन से ही उसके व्यवहार में बहुत बदलाव आया और वो मेरा विश्वासपात्र बन गया।
इस सारे प्रकरण के बाद अन्य कर्मचारी भी मेरे करीब आ गये। कयोंकि यदि मे गुरदयाल के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही करता तो शायद उसे बरखास्त कर दिया जाता और वेतन भी काट लिया जाता जिसका प्रभाव सीघा उसके परिवार पर पड़ता। मेरी इस सकारात्मक सोच की वजह से न सिर्फ कर्मचारियों का मुझ पर भरोसा बना वरन उनकी कार्य क्षमता में भी सुधार आया।